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सोमवार, 8 सितंबर 2008




Posted by Picasa

1 टिप्पणी:

شہروز ने कहा…

मन की व्यथा का संप्रेषण ही जब बलवती हो जाए तो kala का आरम्भ होता hai.
और ये आप से मिलकर लगता hai, आपके सृजन से मिलना ही, आपसे मिलना hai.
apni रचनात्मक ऊर्जा को बनाए रखें.
कभी समय मिले तो आकर मेरे दिन-रात भी देख लें.
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