Hello world!
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पीड़ तेरे जान दी किद्दां जरांगा में , हस्या तां मैथों जाना नही बस रोएया
करांगा में , तेरी कल्ली कल्ली गल नु चेते करदा रहांगा में , तेरे मुड़ के ओन
दी आस ते...
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1 टिप्पणी:
मन की व्यथा का संप्रेषण ही जब बलवती हो जाए तो kala का आरम्भ होता hai.
और ये आप से मिलकर लगता hai, आपके सृजन से मिलना ही, आपसे मिलना hai.
apni रचनात्मक ऊर्जा को बनाए रखें.
कभी समय मिले तो आकर मेरे दिन-रात भी देख लें.
http://shahroz-ka-rachna-sansaar.blogspot.com/
http://hamzabaan.blogspot.com/
http://saajha-sarokar.blogspot.com/
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