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शुक्रवार, 27 नवंबर 2009

तूँ कीवें झूठ बोल लेना सै ,
मैं
हर झूठ नु सच समझदी सी,
मैं कलावा भरदी सी ,
तु
बुकल बण जांदा सै,
घुप हनेरी रात पुनिया लगदी सी ,
तु
चन बाण जांदा सै,
चरखा कतनो हट्दी ,
तु तंद बाण जांदा सै,
तूँ आखेया सी ,
मैं
तेरा रहाँगा,
पर
तूँ तान सड़ बल गेओ ,
मैं हाले वी धुख्दी हाँ ,
तूँ कीवें झूठ बोल लेना सै ,
मैं
हर झूठ नु सच समझदी
सी,

विजय
वारसी